मल्हनी (जौनपुर):
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा हॉस्टल, पुस्तकालय, चिकित्सा, भोजन, वाई-फाई और खेल सामग्री जैसी सुविधाओं को लेकर उठाए गए सवालों पर एक वरिष्ठ अधिवक्ता की सोशल मीडिया पोस्ट चर्चा का विषय बन गई है। उनकी टिप्पणी को लेकर छात्रों में बहस देखने को मिल रहा है, क्योंकि उन्होंने कई शिकायतों को “गैर-जरूरी” बताते हुए छात्रों की मांगों पर सवाल खड़े किए हैं।
सोशल मीडिया पोस्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता ने छात्रों की समस्याओं पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ मांगें तर्कसंगत नहीं हैं। उन्होंने सवाल किया, “यदि रात को हॉस्टल जाने के लिए ऑटो नहीं मिलता, तो देर रात बाहर जाने की जरूरत ही क्यों पड़ती है?” इसी तरह, पुस्तकालय के शाम 7 बजे बंद होने की शिकायत पर उन्होंने लिखा, “क्या पढ़ाई सिर्फ रात में ही की जा सकती है?”
सफाई व्यवस्था पर छात्रों की चिंता को लेकर उन्होंने सुझाव दिया कि यदि हॉस्टल में सफाई को लेकर कोई समस्या है, तो “छात्र स्वयं मिलकर सफाई करने की आदत डाल सकते हैं।” चिकित्सा सुविधाओं के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि “विश्वविद्यालय परिसर के आसपास कई मेडिकल स्टोर उपलब्ध हैं, जहां से आवश्यक दवाएं आसानी से ली जा सकती हैं।”
भोजन की गुणवत्ता को लेकर छात्रों द्वारा की जा रही आलोचना पर उन्होंने लिखा, “जब अधिकांश छात्र-छात्राएं दिनभर फास्ट फूड और जंक फूड खाते हैं, तो फिर मेस के खाने की शिकायत करना कितना उचित है?”
वाई-फाई की समस्या पर उन्होंने कहा कि “क्या रात में इंटरनेट कमजोर होने से पढ़ाई में बाधा आ रही है या फिर इसकी जरूरत अन्य उद्देश्यों के लिए है?”
खेल सामग्री को लेकर भी उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह “नाच न आवे, आंगन टेढ़ा” वाली बात है। उनके अनुसार, “जो छात्र अपने करियर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वे बिना किसी परेशानी के आगे बढ़ रहे हैं, जबकि कुछ छात्र अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं।”
वरिष्ठ अधिवक्ता की इस टिप्पणी के बाद छात्रों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। कई छात्र-छात्राओं ने इसे उनकी समस्याओं को हल्के में लेने जैसा बताया और कहा कि विश्वविद्यालय में सुरक्षित परिवहन, पुस्तकालय की विस्तारित सुविधा, चिकित्सा सहायता, गुणवत्तापूर्ण भोजन, खेल सामग्री और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसी सुविधाएं शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।