प्रशासनिक भवन में सख्ती मगर बाहर जारी है मुलाकातें
सख्ती के बावजूद लेनदेन की कोशिश जारी, क्या कारगर होगा आदेश
जौनपुर।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यालयों में बिचौलियों के प्रवेश और लेनदेन पर रोक लगाने के लिए कड़ा कदम उठाया है। कुलसचिव महेंद्र कुमार ने सभी विभागाध्यक्षों और पटल प्रभारियों को पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी दलाल, बिचौलिए या अनाधिकृत व्यक्ति का कार्यालय में प्रवेश सख्ती से रोका जाए। यदि किसी संदिग्ध व्यक्ति की आवाजाही पाई जाती है, तो उसकी तस्वीर लेकर तत्काल उच्च अधिकारियों को भेजी जाए।
आदेश लागू होने के बाद प्रशासनिक भवन में बिचौलियों की आवाजाही पर प्रभावी अंकुश जरूर लगा है, लेकिन कर्मचारियों और अधिकारियों ने अब नए ठिकाने ढूंढ लिए हैं। कई कर्मचारी अब अपने आवास, अंबेडकर पार्क, चाय-पान की दुकानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अनाधिकृत व्यक्तियों से मिल रहे हैं, ताकि लेनदेन प्रभावित न हो।विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी और कर्मचारी प्रतिबंधों को धता बताने के लिए नई रणनीतियां अपना रहे हैं। कार्यालयों में लेनदेन पर रोक लगते ही उन्होंने बाहरी स्थानों पर सौदेबाजी का रास्ता निकाल लिया। विश्वविद्यालय परिसर में ऐसे अधिकारी और कर्मचारी चाय-पान की दुकानों, पार्कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर संदिग्ध मुलाकातें करते देखे जा सकते हैं।हालांकि प्रशासनिक भवन में दलालों और बिचौलियों की सक्रियता पर लगाम कसने का प्रयास किया गया है, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने अब छिपे तौर पर लेनदेन जारी रखने का तरीका निकाल लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस आदेश को प्रभावी रूप से लागू करने और भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए निगरानी तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है। यदि प्रशासन कठोर कदम नहीं उठाता, तो यह आदेश भी महज कागजी साबित हो सकता है।
डिजिटल ट्रांजैक्शन से खुल सकते हैं राज,जांच से हो सकता है खुलासा
पूर्वांचल विश्वविद्यालय में बिचौलियों पर प्रतिबंध के बावजूद कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों ने डिजिटल माध्यमों से गुप्त लेनदेन जारी रखा है। यदि प्रशासन गूगल पे, फोनपे और अन्य ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की जांच करे, तो कई संदिग्ध नाम सामने आ सकते हैं।स्क्रीनशॉट और बैंक स्टेटमेंट इस बात के गवाह हो सकते हैं कि किसने, कब और किसके साथ वित्तीय लेनदेन किया। कार्यालयों में सख्ती के बाद भी बाहरी मुलाकातों और डिजिटल भुगतान के जरिए भ्रष्टाचार जारी है।सूत्रों के अनुसार, कई कर्मचारियों ने बिचौलियों से सीधे मोबाइल पर रकम ली है, जिसके प्रमाण डिजिटल भुगतान रिकॉर्ड में मिल सकते हैं। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई करेगा या यह खेल यूं ही चलता रहेगा?