जौनपुर।नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद, उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एलएलएम और एलएलबी पाठ्यक्रमों के पासिंग मार्क्स को लेकर असमानता की स्थिति पैदा हो गई है, जिससे विधि के छात्रों में गहरा असंतोष है। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पासिंग मानक 50 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जबकि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में यह मानक 40 प्रतिशत है। इस भिन्नता से छात्रों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, और वे समान पासिंग मानक की मांग कर रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि पूर्व में 40 अंकों पर पासिंग मानक था, जो अब अचानक 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे न केवल उनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि उनके करियर पर भी इसका नकारात्मक असर हो सकता है। छात्रों ने मांग की है कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पासिंग मानक को अन्य विश्वविद्यालयों के अनुरूप लाया जाए ताकि वे समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
अन्य विश्वविद्यालयों में पासिंग मानक और सेशनल अंक व्यवस्था
आजमगढ़ स्थित महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय में पासिंग मानक 50 प्रतिशत है, जिसमें 75 प्रतिशत थ्योरी और 25 प्रतिशत सेशनल अंक शामिल हैं। छात्रों को पास होने के लिए दोनों ही श्रेणियों में 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है। वहीं, पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सेशनल अंक नहीं रखे गए हैं, जिससे छात्रों को अपनी वास्तविक क्षमता का सही आकलन करने में परेशानी हो रही है। छात्रों का मानना है कि सेशनल अंक के बिना उनके प्रदर्शन का सही मापदंड नहीं तय हो पाता और उनकी शैक्षणिक प्रगति बाधित हो रही है।
विभागीय प्रतिक्रिया और समाधान की मांग
विधि विभाग के डीन प्रोफेसर राजेश कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि देशभर में एलएलएम पाठ्यक्रमों के लिए 50 प्रतिशत पासिंग मानक लागू है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि छात्र कुछ अंक कम प्राप्त करते हैं, तो उन्हें अगले सेशन के लिए प्रमोट किया जाएगा, लेकिन उन्हें कैरी फॉरवर्ड के तहत अतिरिक्त परीक्षा देनी होगी। पूर्वांचल विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल ने भी आगामी सत्र 2024-25 से 80 प्रतिशत थ्योरी और 20 प्रतिशत सेशनल अंक का नया मानक निर्धारित कर दिया है।
प्रशासनिक बयान और छात्रों की चेतावनी
परीक्षा नियंत्रक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि विधि विभाग के डीन के साथ चर्चा के बाद ही इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं हुआ, तो वे विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। छात्रों का कहना है कि वे न्याय के लिए अपने आंदोलन को और अधिक संगठित और व्यापक करेंगे, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।