हिंदी भाषा का महत्व
हर्टमनपुर, गाजीपुर। हर्टमनपुर इंटर कॉलेज, गाजीपुर के प्रधानाचार्य फादर पी. विक्टर ने हिंदी दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी पहचान और हमारी शान है। उन्होंने हिंदी को एक अत्यंत मीठी भाषा बताया और कहा कि किसी भी देश की पहचान में उस देश की भाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। गुजराती भाषी महात्मा गांधी और बंगाली भाषी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन किया था। हमारे नीति-निर्माताओं ने इसके महत्व को समझते हुए 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया, तभी से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
अंग्रेजी के दौर में हिंदी का गरिमा
फादर पी. विक्टर ने कहा कि आज के अंग्रेजी प्रधान वातावरण में भी हिंदी अपनी गरिमा बनाए हुए है। जिस प्रकार मां का सम्मान करने के लिए किसी विशेष कारण की आवश्यकता नहीं होती, उसी प्रकार अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान करने के लिए किसी कारण की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा भारत माता के मस्तक की बिंदी के समान है और इसका सम्मान करना हर भारतीय का कर्तव्य है।
हिंदी साहित्य की समृद्धता
हिंदी की कविता, कहानी, ग़ज़ल, और साहित्य अत्यधिक लोकप्रिय और मनमोहक होते हैं। हिंदी फिल्मों के गाने देश-विदेश में मशहूर हैं, और हिंदी का व्याकरण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध होने के कारण इसे सीखना और समझना सरल होता है। हिंदी का साहित्य न केवल हमारी संस्कृति को दर्शाता है बल्कि यह भावनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भी है।
तमिल से जन्म, हिंदी से लगाव
फादर विक्टर ने आगे बताया कि उनका जन्म तमिल भाषी परिवार में हुआ, लेकिन उनका पालन-पोषण हिंदी की गोद में हुआ, जिससे उनका हिंदी से गहरा आत्मिक लगाव है। उन्होंने कहा, “शेष जीवन भी हिंदी की सेवा में समर्पित रहेगा और अंततः हिंदी की मिट्टी में ही विलीन होना चाहूंगा।”
विद्यार्थियों के लिए संदेश
फादर ने विद्यार्थियों और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अंग्रेजी अवश्य सीखें और उसका प्रयोग करें, लेकिन अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी को कभी न भूलें। उन्होंने कहा, “हिंदी का सम्मान करना हमारी सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करना है, और यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है।”