पूर्वांचल विश्वविद्यालय की परीक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
गाजीपुर के दो कॉलेजों की परीक्षाओं को लेकर छात्रों और अभिभावकों में आक्रोश
जौनपुर।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध गाजीपुर के दी सनशाइन शिक्षक एवं प्रशिक्षण संस्थान, जखनिया (कॉलेज कोड 219) और स्व. देवराजी दरबारी दुखनती सैनिक किसान महाविद्यालय, पचई पट्टी मखदुमपुर (कॉलेज कोड 158) के छात्रों की परीक्षाएं माता कुसुम देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज, कुड़ीला, जखनिया (कॉलेज कोड 116) में आयोजित की जानी थीं। लेकिन डिग्री कॉलेज का भवन निर्माणाधीन होने के कारण छात्रों की परीक्षा पास के माता कुसुम इंटर कॉलेज में कराई जा रही है।
क्या इंटर कॉलेज में डिग्री परीक्षाएं कराना नियमों का उल्लंघन नहीं?
डिग्री स्तर की परीक्षाओं का आयोजन इंटर कॉलेज में करना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ माना जा रहा है।ऐसा कदम विश्वविद्यालय के इतिहास में कहीं और नहीं देखा गया है, जिससे प्रश्न उठ रहे हैं कि ऐसा निर्णय केवल एक ही परीक्षा केंद्र पर क्यों लिया गया।छात्रों का कहना है कि इंटर कॉलेज में न तो आवश्यक बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही डिग्री स्तर की परीक्षाओं के लिए उचित माहौल।पूर्वांचल विश्वविद्यालय के नियमानुसार, परीक्षा केंद्र अधिकतम 15 किलोमीटर की दूरी पर होना चाहिए।दी सनशाइन शिक्षक एवं प्रशिक्षण संस्थान और स्व. देवराजी दरबारी दुखनती सैनिक किसान महाविद्यालय के छात्रों को 25 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ रही है।यह अतिरिक्त दूरी छात्रों के लिए मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों का कारण बन रही है।
पारदर्शिता पर सवाल: क्या परीक्षा केंद्र निर्धारण में पक्षपात हुआ?
माता कुसुम देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज समेत इन तीनों कॉलेजों का प्रबंधन बिपिन कुमार सिंह और उनके पिता बाप्रकेश सिंह के हाथों में है।सूत्रों के अनुसार, यह व्यवस्था विश्वविद्यालय के एक अधिकारी के प्रबंधन से करीबी संबंधों के कारण जानबूझकर बनाई गई है।एक ही प्रबंधन के कॉलेजों को जोड़कर परीक्षा केंद्र बनाने का निर्णय न केवल नियमों का उल्लंघन करता है, बल्कि विश्वविद्यालय की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करता है।छात्रों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए इसे शिक्षा व्यवस्था में अनदेखी और पारदर्शिता की कमी का उदाहरण बताया।अभिभावकों ने भी मामले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि डिग्री स्तर की परीक्षाओं को इंटर कॉलेज में आयोजित करना छात्रों के लिए अनुचित है।उन्होंने सवाल उठाए कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय के अन्य केंद्रों पर यह व्यवस्था लागू क्यों नहीं है।केवल एक केंद्र पर यह विशेष नियम लागू करना किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है।
प्रशासन की चुप्पी बढ़ा रही विवाद
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले में अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है।छात्रों का कहना है कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वे बड़े आंदोलन का सहारा ले सकते हैं।यह मामला न केवल नियमों के उल्लंघन का उदाहरण है, बल्कि छात्रों के अधिकारों और उनके भविष्य से जुड़े सवाल भी खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि उच्च प्रशासन इस विवाद पर क्या कार्रवाई करता है।