जौनपुर। देश में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और वेब सीरीज की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने बॉलीवुड की पारंपरिक रौनक को नए सिरे से परिभाषित कर दिया है। अब दर्शकों का ध्यान सिनेमाघरों की जगह डिजिटल प्लेटफार्म की ओर खिंच रहा है, जहाँ नए और उभरते कलाकारों का बोलबाला है। वहीं दूसरी ओर, फिल्म इंडस्ट्री के कुछ बड़े और अनुभवी नाम काम की कमी का सामना कर रहे हैं।
फिल्म लगान के प्रोडक्शन मैनेजर और ऑस्कर नामांकित आशुतोष गवारिकर की टीम के सदस्य अकरम शाह ने दैनिक जागरण के साथ एक विशेष बातचीत में वर्तमान दौर में फिल्म इंडस्ट्री की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। शनिवार को जिले के पोटरिया गांव स्थित अपने पैतृक निवास पर उन्होंने कहा, “दर्शक अब सिनेमाघरों के मुकाबले डिजिटल प्लेटफार्म पर अधिक समय बिताना पसंद कर रहे हैं। मनोरंजन की वही गुणवत्ता और सुविधा उन्हें घर बैठे कम खर्च या मुफ्त में मिल जाती है। इसका नतीजा यह हुआ है कि बड़े बजट की फिल्मों और उनके कलाकारों को दर्शकों का अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा है।”
बाबा सिद्दीकी की हत्या: गहराते रहस्य के बीच निष्पक्ष जांच की मांग
मुंबई के बांद्रा इलाके के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता बाबा सिद्दीकी की हत्या ने शहर में सनसनी फैला दी है। इस हत्या के पीछे के रहस्यों को सुलझाने के लिए स्थानीय लोगों ने निष्पक्ष और गहन जांच की मांग की है। अकरम शाह ने इस मामले में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “किसी भी व्यक्ति का आचरण ही उसके मूल्य और स्थान को परिभाषित करता है। अच्छे कार्यों का समर्थन और बुराई का विरोध करना हमारे समाज की स्थिरता और प्रगति के लिए अनिवार्य है। अगर हम बुराई के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, तो ऐसी घटनाएं बढ़ती जाएंगी और समाज का नैतिक पतन होगा।”
वेब सीरीज के उभार से सिनेमाघरों की घटती लोकप्रियता
अकरम शाह ने डिजिटल माध्यमों के बढ़ते प्रभाव पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि आज डिजिटल प्लेटफार्म पर दर्शकों को मामूली शुल्क में महीने भर की असीमित मनोरंजन सामग्री उपलब्ध है, जबकि सिनेमाघरों का टिकट और अन्य खर्च कई लोगों के लिए महंगा साबित हो रहा है। ऐसे में सिनेमा हॉल्स में दर्शकों का आना लगातार कम होता जा रहा है, जिससे फिल्म इंडस्ट्री के सामने एक नई और जटिल चुनौती खड़ी हो गई है।
अकरम शाह का योगदान: अनुभव, संघर्ष और उपलब्धियों की कहानी
अकरम शाह ने अपने करियर में कई प्रतिष्ठित फिल्मों और प्रोजेक्ट्स में काम किया है। उन्होंने एड फिल्मों से शुरुआत की, जिसके बाद उन्होंने सरफरोश, लगान, अग्नि वर्षा, ढूंढते रह जाओगे, स्वदेश, और जाने तू या जाने ना जैसी चर्चित फिल्मों में अपनी अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही, आमिर खान के चर्चित टॉक शो सत्यमेव जयते में बतौर लाइन प्रोड्यूसर उनके योगदान ने उनकी प्रतिभा को साबित किया। अकरम शाह का मानना है कि यह संकट सिर्फ बड़े कलाकारों के लिए नहीं, बल्कि इंडस्ट्री के अन्य अनुभवी पेशेवरों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है, जिनके सामने जीविका का संकट आ खड़ा हुआ है।
अकरम शाह ने फिल्म इंडस्ट्री के भविष्य के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा, “यह जरूरी है कि फिल्म इंडस्ट्री वेब सीरीज और डिजिटल माध्यमों के साथ सह-अस्तित्व का रास्ता तलाशे। दोनों के बीच संतुलन बनाकर न केवल बड़े और छोटे कलाकारों के लिए समान अवसरों की संभावना बनाई जा सकती है, बल्कि सिनेमा हॉल्स का महत्व भी बरकरार रखा जा सकता है।”
अकरम शाह के इन विचारों से यह स्पष्ट होता है कि फिल्म इंडस्ट्री को अब एक नए और बदलते दौर का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ उसे अपने पारंपरिक ढांचे से बाहर आकर डिजिटल माध्यमों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा, ताकि इस उद्योग की रचनात्मकता और रोजगार की संभावनाएं बनी रहें।