अबोध पुत्र की हत्या और मां का संघर्ष: धंजूपट्टी की दर्दनाक घटना
जौनपपुर।
रविवार की रात नेवढ़िया थाना क्षेत्र के जेठपुरा गांव के मौजा धंजूपट्टी में एक ऐसी हृदयविदारक घटना घटी जिसने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। यह घटना न केवल एक निर्दोष बच्चे की जीवनलीला समाप्त होने की त्रासदी है, बल्कि एक मां के गहरे मानसिक संघर्ष और पीड़ा की भी तस्वीर है।
वंदना देवी, जो अपने दो वर्षीय पुत्र के साथ एक सामान्य जीवन जी रही थीं, अचानक उस राह पर चल पड़ीं जहां से वापसी असंभव थी। गांव के लोग अब भी इस घटना को समझने की कोशिश कर रहे हैं—क्या यह कोई असहनीय तनाव था, या शायद एक ऐसी मानसिक स्थिति जिसने वंदना को इस दुर्भाग्यपूर्ण कदम उठाने के लिए मजबूर किया?
### **गहरी पीड़ा का एक पल**
रविवार की रात, जब गांव के अन्य घरों में सामान्य गतिविधियाँ चल रही थीं, वंदना देवी के घर में मौत का सन्नाटा पसर गया। वह पल कितना दर्दनाक रहा होगा, जब एक मां ने अपने ही दो वर्षीय पुत्र का गला धारदार हथियार से रेत दिया। मासूम बच्चे की नन्ही आंखों में शायद उम्मीद की एक आखिरी झलक रही होगी, जो कभी मां के चेहरे पर मुस्कान देखने की अभ्यस्त थी।
### **मां का संघर्ष**
अपने बच्चे को मारने के बाद, वंदना देवी ने खुद को भी उसी हथियार से गंभीर रूप से घायल कर लिया। यह कृत्य सिर्फ शारीरिक चोट का नहीं, बल्कि मानसिक संघर्ष का प्रतीक था, जिसने वंदना को इस हद तक तोड़ दिया कि उसने जीवन से हार मान ली।
पुलिस जब मौके पर पहुंची, तो बिस्तर पर खून से लथपथ बच्चा मृत पड़ा था। पास ही, वंदना देवी भी खून में सनी हुई पाई गईं, जो अब गंभीर स्थिति में बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती हैं। पुलिस अधिकारी और डॉक्टर, सभी इस मामले के कारणों को समझने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन जवाब अभी तक नहीं मिल सका है।
### **ग्रामीणों की चुप्पी और अनुत्तरित सवाल**
जेठपुरा गांव के निवासी, जो इस घटना से पहले वंदना को एक सामान्य गृहिणी के रूप में जानते थे, अब उसकी इस कृत्य पर हैरान हैं। वे अनगिनत सवालों से घिरे हुए हैं—क्या वंदना देवी ने कोई संकेत दिए थे, जिन्हें वे समझ नहीं पाए? क्या किसी ने उसकी पीड़ा को देखा, लेकिन अनदेखा कर दिया?
### **आगे की राह**
इस त्रासदी ने गांव के दिलों में एक अजीब सी शांति और एक असहज सन्नाटा भर दिया है। पुलिस छानबीन कर रही है, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या वे उस मानसिक संघर्ष को समझ पाएंगे जिसने एक मां को अपने ही बच्चे की हत्या करने के लिए मजबूर कर दिया?
यह घटना एक चेतावनी भी है, जो समाज को अपने आसपास के लोगों की मानसिक स्थिति पर ध्यान देने के लिए मजबूर करती है। शायद, अगर वंदना की मानसिक स्थिति पर पहले ध्यान दिया जाता, तो यह दुखद घटना टल सकती थी।
अभी, धंजूपट्टी गांव में वंदना देवी और उसके मासूम पुत्र की दर्दनाक कहानी एक लंबे समय तक लोगों के दिलों में गूंजती रहेगी।