पैरामेडिकल को 50 व नर्सिंग के लिए सौ बेड का अस्पताल जरूरी
लाखों रुपये लेकर बांटी जा रही है फर्जी डिग्री, भविष्य को लेकर सवाल
जौनपुर।
खेतासराय व सरायख्वाजा क्षेत्र में नर्सिंग व पैरामेडिकल कालेज मानक के विपरीत धड़ल्ले से चल रहे हैं। एक ओर जहां 30 सीट के एएनएम, जीएनएम व बीएससी नर्सिंग मान्यता के लिए लोगों को करोड़ों खर्च कर विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, वहीं यहां किराए के एक-दो कमरों संचालित केंद्र छात्र-छात्राओं से लाखों रुपये लेकर फर्जी डिग्री बांट रहे हैं। इससे युवाओं का भविष्य चौपट हो रहा है।
मानक है कि पैरामेडिकल कालेज में एएनएम व जीएनएम कोर्स संचालित करने के लिए दस हजार स्क्वायर फीट जमीन पर कालेज भवन बना होना चाहिए। इसके साथ ही अनुभवी शिक्षकों का अनुमोदन होना चाहिए। इसके अलावा लाइब्रेरी, हास्टल और 50 व बेड के अस्पताल के साथ प्रशिक्षित चिकित्सक भी हों। इसके साथ ही फायर की एनओसी होनी चाहिए और बायोवेस्ट का रजिस्ट्रेशन भी होना चाहिए।तब कहीं जाकर यूपी स्टेट फैकल्टी इन कोर्सों को संचालित करने की अनुमति प्रदान करती है।जिसे पूरा करने में वर्षों गुजर जाते हैं।इन्हीं प्रक्रियाओं से बीएससी नर्सिंग कोर्स को संचालित करने के लिए भी गुजरना पड़ता है। बीएसएस नर्सिंग के लिए 100 बेड का अस्पताल होना चाहिए। और यूपी स्टेट फैकल्टी के साथ-साथ दिल्ली एनआईसी से भी मान्यता लेनी पड़ती है।इसमें 64 हजार स्कॉयर फिट जमीन पर बना कालेज भवन, लाइब्रेरी और हॉस्टल होना चाहिए।और अन्य प्रक्रियाएं पैरामेडिकल कॉलेज की तरह ही करनी पड़ती है।तब उक्त कोर्सों के 30 सीट संचालित करने की मान्यता मिलती है।खेतासराय और सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के विभिन्न बाजारों में किराए की दुकान में पैरामेडिकल कॉलेज व नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहे हैं। जहां पर छात्र सुविधा और पठन-पाठन के नाम पर कुछ भी नहीं है।अवैध संचालकों के द्वारा छात्र-छात्राओं से लाखों रुपया लेकर बिना किसी मान्यता के एक वर्ष में 300- 300 फर्जी डिग्री बांटी जा रही है। जिसकी शिकायत अभी हाल में ही एक छात्रा ने विकास भवन में शिकायत किया।जिसके बाद केंद्र संचालक ने माफी मांगते है रुपया लौटा दिया।फर्जीवाड़ा का कई और मामला उस समय सामने आया जब छात्र-छात्राएं इंटर्नशिप करने के लिए जिले के ख्यातिलब्ध अस्पतालों में पहुंची।जहां उनके प्रमाण पत्र फर्जी बताते हुए लौटा दिया गया।सैकड़ो युवाओं का भविष्य चौपट करने वाले अवैध कारोबारी के खिलाफ जिला प्रशासन के द्वारा कार्रवाई न करना कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।