प्रयागराज।
नाको द्वारा पायलेट परियोजना के रूप में ‘एलिमिनेशन ऑफ़ वर्टीकल ट्रांसमिशन ऑफ़ एचआईवी-सिफलिस यानि माताओं से शिशु में एचआईवी और सिफलिस वायरस संचरण उन्मूलन की शुरुआत गुरुवार 17 अगस्त को मोतीलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के प्रेक्षाग्रह से की गयी। इस अवसर पर सम्बंधित कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया गया।
कार्यक्रम डॉ. हीरालाल, अपर परियोजना निदेशक, उ. प्र. राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी ने बताया लगभग 95 प्रतिशत गर्भवती का नामांकन एचआईएमएस पर होता है। लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक नामांकित गर्भवतियों में से सभी को अपना एचआईवी का स्टेटस पता होना चाहिए। इसके लिए सभी की एचआईवी और सिफलिस की जांच होनी चाहिए। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सबसे पहले ज्यादा एचआईवीम- सिफलिस प्रसार, घनी आबादी और सबसे ज्यादा संख्या में गर्भवती होने की वजह से जिले में पायलेट प्रोजेक्ट की शुरुआत गुरुवार को कर दी गयी है। यहां पर मिले निष्कर्ष को पूरे प्रदेश में अमल लाया जायेगा।उन्होंने बताया कि चार स्तर पर यह प्रोजेक्ट चलाया जायेगा, सबसे पहले एचआईवी संक्रमण की प्राथमिक रोकथाम, एचआईवी संक्रमित महिलाओं में अनपेक्षित गर्भधारण की रोकथाम, एचआईवी संक्रमित महिलाओं से उनके शिशुओं में एचआईवी संचरण की रोकथाम, एचआईवी संक्रमित को देखभाल औसहायता का प्रावधान आदि के लिए है।उन्होंने बताया कि लगभग 25 प्रतिशत गर्भवती प्राइवेट अस्पताल में अपनी जांच कराती हैं, ऐसे में उनका नामांकन क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के तहत होना चाहिए। उनको गर्भावस्था के दौरान जो भी समस्या आ रही हैं, उनका समाधान मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर पर होना चाहिए और उनको पूरा सहयोग करना चाहिए।कार्यक्रम में प्रोजेक्ट सम्बन्धी सभी जानकारी की बुकलेट का विमोचन भी किया गया।